दो भाई एक बहन मे से सबसे छोटा शत्रुहन का जन्म 10 जनवरी 1980 मे गरियाबंद जिले के एक छोटे से ग्राम आमदी (पारागांव) में तब हुआ जब आर्थिक तंगी से जूझ रहे आपके माता (श्रीमति देवकी साहू- पिता (श्री गणपत साहू) परिवार के भरण पोषण के लिए अपने मूल ग्राम गाड़ाडीह से जीवकोपार्जन के लिऐ साधू केजूराम पिंजारा के यहां आमदी खाने कमाने गए थे
*अदभुत प्रतिभा के धनी शत्रुहन सिंह साहू की प्रारंभिक शिक्षा पांचवी तक शासकीय प्राथमिक शाला ग्राम गाड़ाडीह में हुआ स्कूल मे प्रथम आने के बाद आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए ईंट भट्टी में काम करते हुए उन्होंने छटवी सातवी शासकीय माध्यमिक शाला पराखंदा, आठवी शासकीय माध्यामिक शाला मंदरौद में पूरा किया, पढ़ाई लिखाई मे होनहार रहने के बाद भी बहुत ही मुश्किल हालात मे प्रतिभावान और गरीब छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति की मदद के साथ ही मेहनत मजदूरी कर करते हुए 9वीं से 12 वी तक की पढ़ाई शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुरूद मे पुरा किया,
कहते हैं कि बचपन के स्वभाव का उनका पूरे जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है ऐसे ही एक घटना सन 1993 में उस घटी जब शत्रुहन छठवीं कक्षा अध्ययन के दौरान मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए जाति प्रमाण पत्र बनाने तहसील कार्यालय कुरूद गए थे जहां जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए चौकीदार के द्वारा सबसे 10- 10 रूपये अवैध रूप से लिए जा रहे थे इस बात की शिकायत उनके द्वारा तहसीलदार को किया गया जिसके बाद माहौल बिगड़ता देख तहसीलदार ने जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए चौकीदार द्वारा लिऐ गए सभी का 10 रूपये वापसी करवाए उस समय वह महज 13 साल का था हो सकता है आज 10 रु का कोई मोल न हो लेकिन 1993 में वह एक मजदूर की दिनभर की मजदूरी थी !
उनकी प्रतिभा लोगों के सामने उस समय आया जब कक्षा 12वीं मे गणित और जीव विज्ञान एक साथ लेकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए उसके बाद गणित का कोचिंग पढ़ाते हुए शासकीय महाविद्यालय कुरूद में ग्रेजुएशन पुरा किए*
*समाजिक न्याय के पक्षधर अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू के जीवन में राजनीतिक बदलाव उस समय आया जब वह बी एस सी अंतिम वर्ष का छात्र था हुआ यूं कि उस समय महाविधालय में छात्र संघ का चुनाव होने वाला था किन्तु एक स्थानीय दबंग नेता के इशारे पर महाविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष बिना चुनाव के ही थोपे जा रहे थे जिससे सारे विद्यार्थियों में काफी रोष था किंतु भय के वातावरण में कोई भी खुलकर विरोध करने के लिये सामने नहीं आ रहे थे ऐसे में शत्रुहन साहू ने स्व. आनंद चंद्राकर, अरुण कुर्रे समारू सिन्हा, घनश्याम ठाकुर सहित अपने दोस्तों के साथ मिलकर वर्ष 2002 मे ग्रामीण छात्र संघर्ष समिति का गठन किया और बाहरी नेताओं का कॉलेज में दादागिरी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा के नारों के साथ विरोध का झंडा बुलंद करते हुए छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव में कूद गया इसके बाद आक्रोशित छात्र-छात्राएं उनके साथ जुड़ने लगे परिणामित: वह ऐतिहासिक मतों से जीत कर शासकीय महाविद्यालय कुरूद के छात्र संघ अध्यक्ष चुना गया हार से तिल मिलाई हुई असामाजिक तत्वों ने शपथ ग्रहण कि पूर्व रात कालेज चुनाव के प्रमुख सहयोगी रहे आनंद चंद्राकर जी के साथ उन्हें किडनैप कर लिया गया ताकि वह शपथ ग्रहण न कर सके जिसकी खबर फैलते ही कॉलेज के सैकड़ों आक्रोशित छात्र-छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन करने लगे जिसके 24 घंटे बाद रात को उनके चंगुल से छुटकारा मिलने के बाद अगले दिन शपथ ग्रहण किया गया!
फिर भी निडरता के साथ तात्कालिक मुख्यमंत्री अजीत जोगी के संपर्क में आकर महाविद्यालय में कई ऐतिहासिक निर्माण कार्य (महाविधालय पहुंच मार्ग का डामरीकरण, महाविधालय की पुताई, वाहन स्टैंड का निर्माण, सूचना पटल, महाविद्यालय का प्रथम पत्रिका दीप शिखा का प्रकाशन, सेमीनार सहित कई रचनात्मक कार्य को गति दिया) को पूर्ण कराया*
2004 मे तहसील अध्यक्ष साहू युवा प्रकोष्ठ कुरूद की जिम्मेदारी निभाते हुए युवा वर्ग को समाज की मुख्य धारा में लाने का सतत प्रयास किया जिससे प्रभावित होकर समाज प्रमुखों ने उन्हें साहू युवा प्रकोष्ठ धमतरी जिला के जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए समाज के युवाओं को समाज व देश निर्माण में सक्रिय करने के लिए कर्मा सैनिक का गठन किया तथा पढ़ाई के साथ ही सामाजिक कार्य में सक्रिय भूमिका निभाते रहे |
*आगे एम एस सी की पढ़ाई के लिऐ पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में एडमिशन लिए थे किंतु पारिवारिक स्थिति के कारण बीच मे ही पढ़ाई छोड़कर ट्यूशन क्लास को आगे बढ़ाया तथा अगले वर्ष कानून की पढ़ाई के लिए लॉ कॉलेज धमतरी में एडमिशन ले लिए इस दौरान धमतरी में ही मन प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट के नाम से कोचिंग क्लास यथावत जारी रहा 2007 मे वकालत की पढाई पूरी करने के बाद विधि व्यवसाय करते हुए सामाजिक उत्थान के लिए कर्मा सैनिक का गठन कर युवाओं को समाजिक शिक्षा देते हुए समाज की मुख्य धारा में लाने का काम किया , कुरूद विधान सभा के लोगों की माने तो 2008 के विधायक चुनाव में लेखराम साहू को जीत दिलाने का श्रेय अधिवक्ता शत्रुहन साहू जी को जाता है, किन्तु सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनके बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कुछ समाजिक षड्यंत्र करियों ने उन्हें समाजिक अनुशासन का हवाला देकर कर्मा सैनिक के विस्तार को रोक सामाजिक नेतृत्व को कमजोर करने का षड्यंत्र किया जिसका असर आज भी क्षेत्र में दिखाई पड़ता है इसके बाद भी कुछ समाजिक चिंतकों ने समाज में कुरीतियों और विभिन्नताओं को दूर करने के लिए आपके द्वारा कर्मा सैनिक का गठन कर की गई सकारात्मक एवम सृजनात्मक कार्य को आगे बढ़ाया जिसके परीणाम स्वरूप आपके परिकल्पना से कुरूद साहू संवाद 2012 में प्रकाशित हुआ किंतु समाज के कुछ राजनीतिक चाटुकारों के द्वारा आपके बढ़ाते प्रभाव से डरकर आपको सामाजिक कार्य से रोकने का प्रयास किया किन्तु आप रुके नहीं और उच्च न्यायालय बिलासपुर में वकालत करते हुए किसान संघर्ष समिति का निर्माण कर किसानों की हक अधिकार के लिए निरंतर प्रयास करते रहे।!
अधिवक्ता संघ धमतरी एवं उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में विधि व्यवसाय के साथ साथ निशुल्क कंप्यूटर क्लास चलाने के कारण छात्र-छात्राओं ने आपको सम्मान से "स्वामी सर" की पदवी धमतरी में दिया था तथा आपके द्वारा किए जा रहे निशुल्क कंप्यूटर शिक्षा एवं निशुल्क वकालत के साथ समाज सेवा के लिए 2009 में भारतीय दलित साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा "समता अवार्ड" से सम्मानित किया गया !!
वकालत को समाज सेवा का जरिया बनाकर गरीब, किसान व पीडित लोगों को न्याय दिलाने के लिए नि:शुल्क कानुनी सलाह के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ दी, किसान संघर्ष समिति का गठन कर ईसके माध्यम से शत्रुहन सिंह साहू ने सीलिंग किसानों को उनका हक दिलाया तो वहीं जमीन अधिग्रहण के बाद प्रभावित किसानों को मुआवजा दिलाने रोड से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जिससे शासन को मजबूरन झुकना पड़ा। एक ह्विसलब्लोअर की तरह शाकम्भरी योजना मे किसानों को डीजल पम्प सेट खरीदने के लिये दी जाने वाली सब्सिडी का महाघोटाले का न केवल पर्दाफाश किया बल्कि भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाने कोर्ट तक गए इस दौरान उन्हे डराने एवं खरीदने की कोशिश की गई जब खरीद नही सके तो उन के विरुद्ध शासन प्रशासन स्तर पर षड्यंत्र पूर्वक फर्जी मामले दर्ज करवाए गये जिसे छह साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए उच्च न्यायालय बिलासपुर ने रद्द करने का आदेश दिया, उसके बाद भी धान खरीदी, धान के समर्थन मूल्य, महंगी बिजली, बिजली कटौती की समस्याओं के खिलाफ अपना जंग सतत जारी रखा, 2017 में किसानों के हक अधिकार के लिऐ किए जा रहे आन्दोलन को कुचलने के लिये उन्हे जेल भेज दिया गया, जहां श्री साहू जी ने विरोध स्वरुप भूख हड़ताल पर बैठ गये मजबूरी मे प्रशासन को तीन दिन बाद उन्हें रिहा करना पड़ा इस प्रकार हम कह सकते है संघर्षों का दूसरा नाम शत्रुहन रहा ।*
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग चढ़ते हुए उन्होंने मेरा जिला भ्रष्टाचार मुक्त जिला अभियान का शुरूआत किया था जिसके तहत कई विभागों में हुए भ्रष्टाचार का पोल खोल कर रख दिया था इसी क्रम में मत्स्य विभाग के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया तो वही रेत माफियाओं पर अंकुश लगाने के के लिए 4 सितंबर 2020 से अनिश्चितकालीन धरना जिला मुख्यालय धनतरी में करने के बाद 2 अक्टूबर 2020 से गांधी जयंती के अवसर पर गांधी के बताए मार्ग पर चलते हुए बूढ़ा तालाब मैदान रायपुर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए जहां 7 दिन के भूख हड़ताल के बाद प्रशासन ने उनकी मांगों पर कार्यवाही करने का आश्वासन देते हुए उनका भूख हड़ताल समाप्त करवाया |
*जनहित के कार्यो मे संघर्षरत शत्रुहन सिंह साहू ने किसान संघर्ष समिति को खेती बचाओ आंदोलन में परिवर्तित कर 2020 में आई केंद्र सरकार द्वारा लाई गई कृषि बिल के विरोध स्वरूप पूरे प्रदेश में खेती बचाओ आंदोलन का शंखनाद किया और पूरे प्रदेश में किसानों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया जिसके कारण संयुक्त किसान मोर्चा छत्तीसगढ के बैनर तले किसान नेता राकेश टिकैत ने उन्हें वर्ष 2021 में तीनों कृषि बिल की वापसी के बाद प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया इस दौरान उनकी मुलाकात न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल, श्री इंद्रकुमार चंदापुरी, अजय मेश्राम, राजेश मरकाम सहित कई सामाजिक चिंतकों से से हुआ जिसे लंबी विचार विमर्श के बाद उन्होंने अपने वर्ग समाज को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए लड़ाई शुरू करने का मन बनाकर देश के कोने-कोने में चल रहे ओबीसी आंदोलन के लोगों से संपर्क कर ओबीसी का वास्तविक इतिहास जानने का प्रयास किया तथा आंदोलन का आगाज करने के लिए उचित प्लेटफार्म की तलाश कर रहा था, तब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष टिकेश्वर साहू जिनके साथ मिलकर उन्होंने खेती बचाओ आंदोलन को पूरे छत्तीसगढ़ में पहुंचाने का काम किया था ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा में जुड़कर काम करने के लिए आमंत्रित किया किंतु उनके सवालों का जवाब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पास नहीं होने के कारण संगठन के साथ काम करने से इनकार कर उन्हे ओबीसी की वास्तविक और गौरव शाली इतिहास से अवगत कराया और छः माह के विचार मंथन के बाद ओ.बी.सी.(अन्य पिछड़ा वर्ग) संयोजन समिती छत्तीसगढ़ का गठन कर उनकी संबद्धता भारत व्यापी पिछड़ा वर्ग आंदोलन के जनक त्यागमूर्ति राम लखन चंदापुरी के द्वारा आजादी के महज 25 दिन बाद गठित अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ से करने के बाद टिकेश्वर साहू के साथ मिलकर ओबीसी आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला में 24 जून 2021 को प्रथम बैठक बुलाये जिसमें 11 लोग उपस्थित हुए किंतु अन्य विचारधाराओं से कुंठित तथाकथित सामाजिक आंदोलनकारी लोग उनके विचारों से सहमत नहीं हुए फिर भी आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए टिकेश्वर अभिनव सिंह, हरीश सिन्हा, नोहर लाल, पंडित घनश्याम प्रसाद, रामलाल गुप्ता नारायण लाल, अपने छात्र जीवन के मित्रगण समारु सिन्हा, शैलेंद्र साहू, खिलावन पटेल, लुकेश कुमार, प्रहलाद साहू, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संजीव कुमार साहू, और एस एल साहू, युवराज सिंह, विष्णु श्रीवास, बाल्दू राम, सांवत राम, कृष्णा जैन, षडानंद साहू प्रदीप विश्वकर्मा, कीरत राम कुलहरा, चोवा राम साहू, अंकालु राम, देवनारायण, मधुसूदन साहू, भोजराम को साथ लेकर ओबीसी जनजागृति के लिए ओबीसी कैडर कैंप आयोजित किया गया अब तक 400 से भी अधिक कैडर कैंप किया जा चुका है |
आपके नेतृत्व मे देश मे पहली बार 10 सितम्बर 2021 को ओबीसी समाज की गौरवशाली इतिहास, संघर्ष और स्वाभिमान की याद में ओबीसी दिवस का आयोजन किया गया जो देखते ही देखते पुरे देश मे ओबीसी दिवस पिछड़े वर्ग के अधिकार के लिऐ स्वाभिमान का प्रतीक बन गया
इसी क्रम में 26 जून 2022 को पांच राज्यों के 1100 से भी अधिक ओबीसी अधिकार आंदोलन के साथियों का राज्य स्तरीय बैठक राजधानी रायपुर स्थित भामाशाह छात्रावास में हुआ जिसमें 14 सूत्री मांगों का ज्ञापन केंद्र एवं राज्य सरकार को सोपा गया जिसके परिणाम स्वरुप एक महीने बाद ही छत्तीसगढ़ प्रदेश की भूपेश सरकार ने ओबीसी सलाहकार परिषद का गठन किया ,
उनके नेतृत्व मे चल रहें ओबीसी आन्दोलन से प्रभावित होकर अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ द्वारा आपको 10 सितम्बर 2022 को पटना में छत्रपति साहू जी महाराज के वंशज छत्रपति शंभाजी महाराज के हाथों सम्मानित किया गया
जब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 1 व 2 दिसंबर 2022 को विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की आरक्षण सुनिश्चित करने की योजना बना रही थी तब शत्रुहन साहू जी देश के 10 से भी अधिक राज्यों से ओबीसी अधिकार आंदोलन के 5000 साथियों का 20 नवंबर 2023 को राजधानी स्थित कर्म धाम रायपुर में ओबीसी का राष्ट्रीय अधिवेशन करवा जहां जय ओबीसी जय किसान सारे ओबीसी एक समान के नारे के साथ आजादी का दूसरा संघर्ष ओबीसी जन जागरण महा अभियान का शंखनाद किया
राष्ट्रीय अधिवेशन में ओबीसी के लिए पूर्व प्रावधानी 27 प्रतिशत आरक्षण को विशेष सत्र में लागू करवाने सहित विभिन्न मांगों का ज्ञापन प्रदेश व केन्द्र सरकार को सोपा गया ओबीसी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री श्रवण कुमार जी शामिल हुए इसके बाद कार्यक्रम को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने विशेष सत्र में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का विधेयक पास किया जो वर्तमान में राज्य भवन में अटका हुआ है तो वहीं बिहार सरकार ने जातिवार जनगणना करवरकर उनकी सूची प्रकाशित किया है और पूरे देश में जातीय जनगणना करवाया जिसके बाद से ही समान हिस्सेदारी और ओबीसी सुरक्षा कानून लागू करने की बात जोर पकड़ी है जिसका परिणाम है कि आज ना केवल छत्तीसगढ़ अपितु पूरे देश में ओबीसी की एक नई जन जागृति लोगों में दिखाई दे रही है जिसके कारण तमाम राजनीतिक पार्टियां सदन से लेकर सभी मंचों तक ओबीसी हक अधिकार की बात कर रहे हैं*
अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू -2004 कॉलेज के प्रेसिडेंट रहते हुए साहू समाज मे खर्चीली शादी को रोकने के उद्देश्य पहली बार युवक युवती परिचय सम्मेलन कुरूद में आयोजित किया तथा लगातार समाज मे विभाजन कारी नीतियों का विरोध करते हुए समाज में सकारात्मक समाजवाद को स्थापित करने का प्रयास किया, इसके लिऐ कर्मा सैनिक का गठन कर युवाओं को नायक बनो का सन्देश देते हुए सामाजिक व राजनीतिक चेतना जागृत करने का सतत समग्र प्रयास करते आ रहे हैं साथ ही किसान मजदूर की की हक की खातिर एवम भ्रष्ट्राचार के खिलाफ संघर्ष करते हुए कई बार भूख हड़ताल किए यहां तक जेल जाने मे भी संकोच नही करने वाले सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए संघर्षरत, दूरदर्शी मूलनिवासी पिछड़ा और अन्य पिछड़ा के लिए संघर्ष करते हुए प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर आजादी का दूसरा संघर्ष ओबीसी जन जागरण महा अभियान के नायक को 10 सितम्बर 2023 ओबीसी दिवस के अवसर पर आज हजारों साल पहले सभी समाज के उत्थान के लिए क्रांति करने वाली विदुषी महिला ""मेरी मां कर्मा"" के निर्माण मे सहभागी प्रदान करने के लिए फिल्म के निर्माता डी एन साहू जी के द्वारा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया |
समारू सिन्हा, शैलेन्द्र साहू, अरूण कुर्रे, लूकेश साहू, टिकेश्वर साहू, खिलावन पटेल, बसंत ध्रुव, सतवंत महिलांग की कलम से
शत्रुहन सिंह साहू जी के सहमति से उनकी माता देवकी साहू, भाई चंद्रहास साहू एवम उनके गांव वालों की सहयोग से संकलित जानकारी के अनुसार ......
ओबीसी समाज को जब तक समान हिस्सेदारी नही प्राप्त होती तब तक देश मे गैर बराबरी और शोषण फलता फूलता रहेगा। इसलिए सभी ओबीसी समाज को जातीय बन्धन तोड़कर ओबीसी हित की रक्षा हेतु एक हो जाना चाहिए।
संविधानिक हक की लड़ाई ही सामाजिक जागृति है ✊✊✊✊