????राजर्षि शाहू महाराज जयंती ????
सम्मानीय साथियों सादर
जय ओबीसी ????????????
साथियों ओबीसी संयोजन समिती छत्तीसगढ़ दुर्ग संभाग के अंतर्गत बालोद जिला और दुर्ग जिला संगठन संयुक्त रूप से
*सामाजिक न्याय के अग्रदूत, आरक्षण के जनक "राजर्षि शाहू जी महाराज जयंती "
आगामी 26 जून 2025 दिन गुरुवार को पेरिक्षेत्री साहू भवन कलंगपुर ( गुंडारदेही ) में मनाया जायेगा l
आप सभी ओबीसी परिवार सादर आमंत्रित है ????????????
???? *राजर्षी शाहू महाराज जयंती* ????
जय ओबीसी! ????????????
सम्माननीय साथियों,
छत्तीसगढ़ के दुर्ग संभाग के अंतर्गत बालोद और दुर्ग जिला ओबीसी संयोजन समिति द्वारा *सामाजिक न्याय के अग्रदूत, आरक्षण के जनक* राजर्षी छत्रपती शाहू जी महाराज की 151वीं जयंती आगामी *26 जून 2025, गुरुवार* को पेरिक्षेत्री साहू भवन, कलंगपुर (गुंडारदेही) में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर आप सभी ओबीसी परिवार सादर आमंत्रित हैं। ????
*वक्तव्य का उद्देश्य:*
इस कार्यक्रम में राजर्षी शाहू महाराज के प्रेरणादायी जीवन, उनके सामाजिक क्रांति के कार्य, और विशेष रूप से आरक्षण के माध्यम से वंचित वर्गों को सशक्त करने के उनके ऐतिहासिक योगदान को याद किया जाएगा। हमारा लक्ष्य ऐसा प्रभावशाली वक्तव्य प्रस्तुत करना है, जो न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में ओबीसी समाज को उनके अधिकारों के लिए जागृत करे और सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई ऊर्जा प्रदान करे।
*राजर्षी शाहू महाराज का योगदान:*
- *आरक्षण के जनक: 26 जुलाई 1902 को, शाहू महाराज ने कोल्हापूर संस्थान में दलित और मागासवर्गीय वर्गों के लिए **50% आरक्षण* लागू किया, जो भारत में सामाजिक न्याय की नींव रखने वाला पहला कदम था। यह नीति बाद में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान में विस्तारित की गई। []
- *शिक्षण क्रांति*: उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और अनिवार्य किया, विशेष रूप से वंचित वर्गों के लिए स्कूल, छात्रावास, और छात्रवृत्तियाँ शुरू कीं। []
- *जातीय भेदभाव का अंत*: शाहू महाराज ने अस्पृश्यता, बालविवाह, और वतनदारी जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए कठोर कदम उठाए। []
- *महिला सशक्तीकरण*: विधवा पुनर्विवाह और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देकर उन्होंने समाज में समानता की मिसाल कायम की। []
- *सांस्कृतिक और औद्योगिक प्रगति*: कोल्हापूर को 'कुस्ती नगरी' बनाने से लेकर शाहू छत्रपती स्पिनिंग मिल और सहकारी संस्थाओं की स्थापना तक, उन्होंने बहुजन समाज को आर्थिक रूप से सशक्त किया। []
*वक्तव्य का संदेश:*
साथियों, राजर्षी शाहू महाराज का जीवन हमें सिखाता है कि सामाजिक न्याय केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। आज जब हम उनके विचारों को आत्मसात करते हैं, तो हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे।
- *ओबीसी समाज की एकता*: हमें जातिगत भेदभाव को भुलाकर एक मंच पर आना होगा।
- *शिक्षा और जागरूकता*: शाहू महाराज की तरह, हमें अपने बच्चों को शिक्षित और सशक्त करना होगा।
- *संवैधानिक अधिकारों की रक्षा*: आरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए हमें सतर्क और संगठित रहना होगा।
- *आर्थिक स्वावलंबन*: सहकारिता और उद्यमिता के माध्यम से हमें आत्मनिर्भर बनना होगा।
*आह्वान:*
26 जून 2025 को पेरिक्षेत्री साहू भवन में आयोजित इस जयंती समारोह में शामिल होकर राजर्षी शाहू महाराज के सपनों को साकार करने का संकल्प लें। आपका एक कदम पूरे भारत में ओबीसी समाज को उनके अधिकारों के लिए प्रेरित कर सकता है। आइए, इस अवसर को सामाजिक क्रांति का उत्सव बनाएं!
???? राजर्षी शाहू महाराज जयंती - 26 जून 2025 ????
जय ओबीसी! ????????वक्तव्य: ओबीसी संयोजन समिति के संस्थापक, अधिवक्ता श्री शत्रुहन सिंह साहू जी
विषय: "जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी" - राजर्षी शाहू महाराज की दूरदर्शी सोच और ओबीसी अधिकारसम्माननीय ओबीसी परिवार, आदरणीय अतिथिगण, और सामाजिक न्याय के प्रहरी,
आज हम सामाजिक न्याय के अग्रदूत, आरक्षण के जनक राजर्षी छत्रपती शाहू जी महाराज की 151वीं जयंती के पावन अवसर पर पेरिक्षेत्री साहू भवन, कलंगपुर (गुंडारदेही) में एकत्रित हुए हैं। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प का मंच है, जहाँ हम शाहू महाराज के दूरदर्शी विचारों को जन-जन तक पहुँचाने और अपने अधिकारों के लिए एकजुट होने का प्रण लेंगे।राजर्षी शाहू महाराज की दूरदर्शी सोच:
सदियों पहले, जब समाज जातीय भेदभाव और असमानता के अंधेरे में डूबा था, तब राजर्षी शाहू महाराज ने सामाजिक न्याय की मशाल जलाई। 26 जुलाई 1902 को कोल्हापूर रियासत में 50% आरक्षण लागू करके उन्होंने यह सिद्ध किया कि शासन की सच्ची शक्ति तभी है, जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय और समानता पहुँचाए। उनकी यह सोच थी कि समाज की प्रगति तभी संभव है, जब प्रत्येक वर्ग को उसकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व और अवसर मिले।
शाहू महाराज ने न केवल आरक्षण की नींव रखी, बल्कि शिक्षा, आर्थिक स्वावलंबन, और सामाजिक समानता के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए। मुफ्त शिक्षा, दलित और पिछड़े वर्गों के लिए छात्रावास, विधवा पुनर्विवाह का समर्थन, और सहकारी आंदोलन के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण—यह सब उनकी उस दूरदृष्टि का हिस्सा था, जो आज भी हमें प्रेरित करती है।"जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी" - महापुरुषों की देन:
???? *राजर्षी शाहू महाराज जयंती - 26 जून 2025* ????
जय ओबीसी! ????????
*वक्तव्य: सामाजिक न्याय और समान हिस्सेदारी के लिए महापुरुषों का योगदान*
वक्ता: अधिवक्ता श्री शत्रुहन सिंह साहू जी संस्थापक, ओबीसी संयोजन समिति, छत्तीसगढ़
सम्माननीय ओबीसी परिवार, आदरणीय अतिथिगण, और सामाजिक न्याय के प्रहरियों,
आज हम पेरिक्षेत्री साहू भवन, कलंगपुर (गुंडारदेही) में राजर्षी छत्रपती शाहू जी महाराज की 151वीं जयंती के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह अवसर केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति और समानता के लिए एक संकल्प का मंच है। आज हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं, जिन्होंने देश की आजादी और सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई दिशा दी—राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और श्री राम लखन चंदापुरी जी।
### *महात्मा गांधी और राम लखन चंदापुरी जी का योगदान*
महात्मा गांधी और राम लखन चंदापुरी जी का जीवन सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई का प्रतीक है। दोनों महापुरुषों की प्रथम प्राथमिकता थी— देश को गुलामी की जंजीरों को तोड़ना और स्वतंत्र भारत का निर्माण। लेकिन उनकी दृष्टि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं थी। वे चाहते थे कि स्वतंत्र भारत में देश की आधी आबादी से अधिक आबादी वाले उत्पादक वर्ग—मूल निवासी, ओबीसी, दलित, और अन्य वंचित समुदाय—को संवैधानिक रूप से उनका हक, अधिकार, और सम्मान मिले।
#### *महात्मा गांधी का बलिदान*
महात्मा गांधी ने न केवल देश को विदेशी शासन से मुक्त कराने के लिए अहिंसक आंदोलन चलाया, बल्कि सामाजिक समानता के लिए भी अभूतपूर्व कार्य किए। उन्होंने हरिजन आंदोलन के माध्यम से अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और वंचित वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया। गांधी जी ने स्पष्ट कहा था कि भारत की प्रगति तभी संभव है, जब समाज का हर वर्ग—विशेषकर उत्पादक और मेहनतकश वर्ग—को बराबरी का हक मिले। लेकिन उनके इन विचारों ने कुछ कट्टरवादी ताकतों को असहज कर दिया, और सामाजिक समानता के इस महान योद्धा को गोली मारकर शहीद कर दिया गया।
गांधी जी का बलिदान हमें याद दिलाता है कि सामाजिक न्याय की राह आसान नहीं है। यह रास्ता त्याग, संघर्ष, और एकता से भरा है।
#### *राम लखन चंदापुरी जी का ओबीसी सशक्तीकरण*
जहाँ गांधी जी ने सामाजिक समानता की नींव रखी, वहीं श्री राम लखन चंदापुरी जी ने ओबीसी समाज को उनके अधिकारों के लिए जागृत करने का ऐतिहासिक कार्य किया। चंदापुरी जी ने पूरे देश में ओबीसी हिस्सेदारी और सामाजिक समानता के लिए जागरूकता अभियान चलाया। उनकी अथक मेहनत और संगठनात्मक शक्ति का परिणाम था कि मंडल आयोग की सिफारिशें सामने आईं, जिसने ओबीसी समाज के लिए 27% आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया।
इस ऐतिहासिक कदम को पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी.पी. सिंह ने 7 अगस्त 1990 को संसद में लागू करवाया, जिससे ओबीसी समाज को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में समान हिस्सेदारी का अधिकार मिला। यह राम लखन चंदापुरी जी की दूरदर्शिता और संघर्ष का परिणाम था, जिसने लाखों ओबीसी परिवारों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग खोला। लेकिन आज भी कई राज्यों में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी लागू नह
#### *"जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी"*
आज हम जिस नारे को बुलंद कर रहे हैं—"जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी"—यह विचार राजर्षी शाहू महाराज, महात्मा गांधी, राम लखन चंदापुरी, और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे महापुरुषों की देन है।
- *राजर्षी शाहू महाराज* ने 1902 में कोल्हापूर में 50% आरक्षण लागू करके सामाजिक न्याय की नींव रखी।
- *महात्मा गांधी* ने सामाजिक समानता और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
- *राम लखन चंदापुरी जी* ने ओबीसी समाज को संगठित कर उनके अधिकारों की लड़ाई को राष्ट्रीय मंच पर पहुँचाया।
यह नारा केवल एक माँग नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है। ओबीसी समाज, जो भारत की आधी आबादी से अधिक है, उसे शिक्षा, रोजगार, और शासन में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
#### *आज की चुनौतियाँ और हमारा कर्तव्य*
साथियों, आज भी सामाजिक न्याय की राह में कई बाधाएँ हैं। आरक्षण पर हमले, शिक्षा और रोजगार में असमानता, और सामाजिक भेदभाव की घटनाएँ हमें चुनौती दे रही हैं। ऐसे में, हमें इन महापुरुषों से प्रेरणा लेकर एकजुट होना होगा।
1. *शिक्षा और जागरूकता*: अपने बच्चों को शिक्षित करें और संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाएँ।
2. *एकता*: जातिगत भेदभाव को त्यागकर ओबीसी समाज को एक मंच पर लाएँ।
3. *संघर्ष*: शांतिपूर्ण और संगठित तरीके से अपने हक के लिए लड़ें।
4. *आर्थिक सशक्तीकरण*: सहकारिता और उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनें।
#### *संकल्प और आह्वान*
इस जयंती पर, आइए हम संकल्प लें कि राजर्षी शाहू महाराज, महात्मा गांधी, और राम लखन चंदापुरी जी के सपनों को साकार करेंगे। हम "जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी" की माँग को बुलंद करेंगे और इसे हासिल करेंगे।
आज हम जिस नारे को बुलंद कर रहे हैं—"जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी"—यह कोई नई माँग नहीं है। यह उस विचारधारा की गूंज है, जिसे शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले, और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे महापुरुषों ने अपने रक्त और पसीने से सींचा। यह माँग संवैधानिक समानता और सामाजिक न्याय का मूल आधार है।आबादी का आधार: ओबीसी समाज भारत की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा है, फिर भी हमें शिक्षा, रोजगार, और शासन में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। शाहू महाराज ने हमें सिखाया कि बिना हिस्सेदारी के सम्मान संभव नहीं।
सामाजिक सुरक्षा: आरक्षण, जो शाहू महाराज की देन है, हमारी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का आधार है। इसे न केवल बचाना है, बल्कि इसका विस्तार करना है, ताकि हर ओबीसी परिवार तक इसका लाभ पहुँचे।समान भागीदारी: शासन, नीति-निर्माण, और संसाधनों में हमारी हिस्सेदारी हमारा हक है। यह माँग लोकतंत्र की आत्मा है, क्योंकि बिना समान भागीदारी के लोकतंत्र अधूरा है।आज की आवश्यकता:
साथियों, आज हम उस दौर में हैं, जहाँ सामाजिक न्याय पर नए सिरे से हमले हो रहे हैं। आरक्षण को कमजोर करने की साजिशें, शिक्षा और रोजगार में अवसरों का असमान वितरण, और सामाजिक भेदभाव की घटनाएँ हमें चुनौती दे रही हैं। ऐसे में, शाहू महाराज का संदेश और प्रासंगिक हो जाता है।
हमें चाहिए:एकता: जातिगत भेदभाव को त्यागकर ओबीसी समाज को एक मंच पर लाना होगा।जागरूकता: अपने संवैधानिक अधिकारों को समझें और दूसरों को भी शिक्षित करें।संघर्ष: अपने हक के लिए शांतिपूर्ण और संगठित तरीके से लड़ें।सशक्तीकरण: शिक्षा, उद्यमिता, और सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनें।संकल्प:
इस जयंती पर, आइए हम संकल्प लें कि हम राजर्षी शाहू महाराज के सपनों को साकार करेंगे। हम "जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी" की माँग को न केवल बुलंद करेंगे, बल्कि इसे हासिल भी करेंगे। यह हमारा अधिकार है, हमारा कर्तव्य है, और हमारी ताकत है।आह्वान:
मैं आप सभी से अपील करता हूँ कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होकर शाहू महाराज के विचारों को जन-जन तक पहुँचाएँ। आपका एक कदम ओबीसी समाज को उनके हक के लिए खड़ा करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।जय शाहू! जय ओबीसी! जय भारत! ????????
जय शाहू! जय गांधी! जय चंदापुरी! जय ओबीसी! जय भारत! ????????
*आयोजक:*
ओबीसी संयोजन समिति, छत्तीसगढ़
जिला बालोद एवं जिला दुर्ग संगठन
हमारा उदेश्य सामाजिक न्याय की स्थापना जनजागरण अभियान -- ओबीसी संयोजन समिति
आयोजक :- ओबीसी संयोजन समिती छत्तीसगढ़ जिला बालोद एवं जिला दुर्ग संगठन
जिस प्रकार से 10 परसेंट आरक्षण को पलक झपकते लागू कर दिया गया आज दसको बीत गए ओबीसी आरक्षण 27 परसेंट लागू नहीं हो सका जबकि वर्तमान में राज्य एस टी,ओबीसी केंद्र एवं राज्य सरकार में बैठे हुए हैं उम्मीद है कि यह 27 परसेंट आरक्षण बहुत जल्द ओबीसी समुदाय राष्ट्रीय एवं राज्य लेवल पर लागू किया जाएगा बहुत-बहुत धन्यवाद 21 जून 2025 योग दिवस पर आप सभी को साहू परिवार की ओर से समस्त देशवासियों को योग दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनाएं जय हिंद जय भारत।
जिस प्रकार से 10 परसेंट आरक्षण को पलक झपकते लागू कर दिया गया आज 10 को बीत गए ओबीसी आरक्षण 27 परसेंट लागू नहीं हो सका जबकि वर्तमान में स्ट एससी ओबीसी केंद्र एवं राज्य सरकार में बैठे हुए हैं उम्मीद है कि यह 27 परसेंट आरक्षण बहुत जल्द ओबीसी समुदाय राष्ट्रीय एवं राज्य लेवल पर लागू किया जाएगा बहुत-बहुत धन्यवाद 21 जून 2025 योग दिवस पर आप सभी को साहू परिवार की ओर से समस्त देशवासियों को योग दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनाएं जय हिंद जय भारत।